चुनाव,चुनाव,चुनाव चारों ओर बस एक ही शोर है, गौर से देखों तो पता लगेगा सच कुछ ओर है,

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चुनाव नहीं हैं ये तो राजनीतिक दलों की गैंगवार है,
जिसमें जनता की होती रही हमेशा से हार है,

देश को जन—संप्रभुता, जन स्वराज और सुराज की दरकार है
परन्तु चाहते हुए भी नागरिकों की आज तक नहीं पड़ पा रही पार है,

क्योंकि हमें किसी ना किसी राजनीतिक गैंग से अंधा प्यार है,
बिना शर्त वोट व वोट के बाद जनता के सिले हुए होठ से ही चलता गैंगों का वोटों व्यापार है ,
हमें समझना होगा कि बिना लिखित गारंटी वोट देने के कारण ही हमारे जीवन में अंधकार है।

क्या देश का नागरिक अपनी लोकतंत्र में अपनी स्थिति को बदलने को तैयार है,
यदि हाँ तो स्थिति 100 प्रतिशत बदलेगी, हमारा जुड़ना ही जन—संप्रभुता,जन—स्वराज और सुराज का द्वार है।

करो संकल्प, भरों हूंकार, सच्चे लोकतंत्र की यही पुकार,
‘नो गारंटी,नो वोट ‘ मंत्र से ही हारेगा, राजनीति गैंगों का पूंजीवाद,दुष्प्रचार और भ्रष्टाचार।

गांरटी की बात करो, कम से कम शुरूआत करो।

—जन संप्रभुता संघ—
संपर्क : 9414349467