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भारत के महामहीम राष्ट्रपति का कार्यकाल ५ ( पाँच ) साल , सांसद ( MP ) , विधायक ( MLA ) , जिला परिषद सदस्य , स्थानिक स्वराज्य संस्था नगरपरिषद हो या ग्राम पंचायत के सदस्य हो सभीका कार्यकाल सिर्फ ५ ( पाँच ) साल का ही होता है !
लेकिन मूल पोलिस स्टेशन मे नायक पोलिस अमलदार के पद पर तैनात सचिन सायंकार दिनांक २५ / ०७ / २०१७ से यानी विगत ७ ( सात ) सालोंसे डेरा जमाये हुवे है !
विगत ७ ( सात ) सालोंसे जब सचिन मूल थानेमें तैनात है तो शहर के चप्पे चप्पे की जानकारी होना और गलीकूचों के सभी लोगोंसे परिचय और याराना संबंध होना लाजमी है !
उसी तरहसे शहर मे चलनेवाले अवैध जुआ अड्डों , सट्टा अड्डों , अवैध शराब बिक्रेताओं , जिस्मफरोशी के अड्डे चलानेवालों की , जानलेवा प्रतिबंधित गुटका खर्रा , माजा , नकली मीठी सुपारी , ईगल पन्नी गलीकूचों मे बेचनेवालों की जानकारी भी होना लाजमी है !
फिरभी मूल पुलिस ढांक के तीन पात के मुताबिक हाथ पर हाथ धरे कैसे चुप बैठती है ? आखिर इन दो नंबरीयों पर रेड नही डालनेका राज आखिर क्या है ?
मूल थानेमें विगत ७ ( सात ) सालोंसे सारे नियमों को ताक पर रखकर सचिन सायंकार किसके आशीर्वाद से तैनात है ? इसने तो महामहीम राष्ट्रपति जी ,सांसद , विधायक , जिला परिषद , नगर परिषद ,ग्राम पंचायत के सदस्यों के ५ ( पाँच ) सालके कार्यकाल को भी मात देते हुवे विगत ७ ( सात ) सालों से मूल थानेमें जमा हुवा है , कहीँ यह परमानंट लीज वाला मामला तो नही ?
यही हाल मूल पोलिस स्टेशन में एक और अजूबा है ? शफीक शेख के बारेमे भी बतलाया जाता है के वह भी लगभग विगत ५- ६ सालोंसे यहीं डेरा जमाये हुवे है ? आखिर इनपर कौनसे नेताजी की विशेष कृपादृष्टि है जो यह सब नियमोको ताकपर रखकर इन्हें स्थानांतरित नही किया जाता ?
यहाँ के पोलिस निरीक्षक सुमित आर . परतेकी ने तो अपनी वर्दी का रौब दिखलाते हुवे गजब का कमाल कर दिये थे !
मैने ( अशरफ भाई मिस्त्री ) दिनांक १८ जनवरी २०२३ को जनमाहिती अधिकार अधिनियम २००५ के तहत मूल पोलिस स्टेशन के कार्यक्षेत्र में डी बी स्कॉड ने २०२२ से आजतक प्रतिबंधित गुटका , खर्रा , माजा ,तंबाकू , सट्टा अड्डे ,जुआ अड्डे पर छापेमारी करके गुनाह दर्ज किये गये होंगे तो उसकी जानकारी मांगी थी !
लेकिन पोलिस निरीक्षक सुमित परतेकी ने दिनांक १६ /०२ /२०२३ को लिखित में ऐसा जवाब दिया था के ” इस जानकारी का किसीभी सार्वजनिक कामकाज से या हितसंबंध से संबंध नही होनेसे यह जानकारी कलम ८ (१) ( त्र ) , माहिती अधिकार अधिनियम २००५ के मुताबिक नकारी जाती है ” ऐसा जवाब पोलिस निरीक्षक परतेकी ने देकर जानकारी छुपाने की कोशिश की थी !
उनके इस जवाब के खिलाफ मैने दिनांक २० /०२ /२०२३ को प्रथम अपीलीय अधिकारी ,उपविभागीय पोलिस अधिकारी के समक्ष अपील दाखिल करके परतेकी ने जानकारी देनेसे इंकार करने के खिलाफ अपील दाखिल करके वही जानकारी मांगी थी !
जिसके चलते पोलिस निरीक्षक सुमित परतेकी ने दिनांक १३ / ०३ /२०२३ को लिखित में जवाब दिया था के ” पोलिस स्टेशन मूल के डी बी पथक ने २०२२ में अवैध सट्टा पट्टी के ५ , जुआ के ३ , मांजा की १ केस बनाई गई है ”
याने की “खोदा पहाड और निकला चूहा ”
इस जवाब मे मजेदार बात यह है के हमने माजा की केस के बारेमे जानकारी माँगी थी और पोलिस अधिकारी ने लीपापोती करते हुवे माजा के बदले मांजे की केस पकडने की बात बतलाई ?
मजेदार बात तो यह है के पूरे साल भरमे पूरे मूल पोलिस स्टेशन के कार्यक्षेत्र में सट्टे की सिर्फ ५ केसेस , जुआ के सिर्फ ३ केसेस , और हसने वाली बात माजा की बजाय मांजा की १ केस ? अवैध जानलेवा प्रतिबंधित गुटका – खर्रा – माजा – तंबाकू – नकली मीठी सुपारी के कारोबारीयों पर विशेष महेरबानी ? उनके खिलाफ एकभी मामला नही ? है ना मूल पुलिस की कार्यतत्परता ?
आखिर इसका राज क्या हो सकता है ? इस सवालियांँ बात की भी गंभीरता पूर्वक आला अधिकारियोंने जाँच करके उचित कदम उठाना निहायत जरूरी है !