शराब के बेताज बादशाह को शराब की नई दुकान के लिये नगर परिषद मूल के तत्कालीन मुख्याधिकारी से ना हरकत ( NOC ) प्रमाणपत्र नही दिये जानेसे मुख्याधिकारी के फर्जी हस्ताक्षर का खेल खेला गया था ⁉️

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जिसमे बलि का बकरा बना था डेली वेजेस वाला कंप्यूटर ऑपरेटर श्रीनिवास बुक्कावार ❓बाकी सभी छछुंदर एक नेता के चलते और शराब माफिया के माल के चलते बच निकले थे !
ना तो फर्जी हस्ताक्षर का गंभीर प्रकरण पुलिस को दिया गया था और नाही जिलाधिकारी तक पहोचा था !
दूसरे कर्मचारी मधु चौधरी को निलंबित किया गया था !
बादमे सबूतों के अभाव का बहाना बनाकर मामला रफादफा कर दिया गया था !
इस मामले को अगर रीओपन किया जाये तो सभी अपराधी कानून के शिकंजे में फस सकते है और नाहरकत प्रमाणपत्र के लिये किया गया लाखोंके लेनदेन से पर्दा उठ सकता है ⁉️