मूल पोलिस स्टेशन के जनमाहिती अधिकारी पोलिस निरीक्षक ने जनमाहिती अधिकार अधिनियम २००५ कानून को बना दिया मजाक ?

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मूल पोलिस स्टेशन के कार्यक्षेत्र में सभी अवैध धंदे वालों ( जुआ अड्डे ,सट्टाकिंगों के सट्टा बाजार , जानलेवा प्रतिबंधित गुटका खर्रा , तंबाकू , माजा , नकली मीठी सुपारी कारोबार , जिस्मफरोशी के अड्डे, गुंडा तत्व ) खुल्ली छूट है ! उनके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाही नही होती ?
लेकिन जनमाहिती अधिकार के तहत जानकारी मांगनेपर उस कानूनी अधिकार को खिलवाड बनाकर रख दिया गया है !
मै ( अशरफ मिस्त्री ) ने दिनांक ३० मई २०२४ को जनमाहिती अधिकार अधिनियम २००५ के तहत मूल पोलिस स्टेशन के जनमाहिती अधिकारी से मूल पोलिस स्टेशन मे कार्यरत श्री शफीक शेख जिस पोलिस स्टेशन से यहाँ तैनात हुवे थे उस पोलिस स्टेशन का नाम और मूल थानेमें तैनात होनेकी तारीख और उनके पदकी जानकारी मांगी थी !
मेरे अर्जी को उस दिन ड्यूटी पर तैनात स्टेशन डायरी अमलदार ने लिया था और अर्जी की डुप्लीकेट प्रति पर सिक्का मारकर अपनी दस्तखत करके दिया था ! लेकिन उसपर अर्जी लेनेकी तारीख नही लिखी थी !
कानून के मुताबिक जनमाहिती अधिकार के अधिनियम के तहत दिये जानेवाले अर्जी का जवाब मांगी गई जानकारी नियमानुसार एक महीने के ( ३० दिनोंके ) अंदर ही देना चाहिये ऐसा कानून है !
दिनांक ३० / ५ / २०२४ को दिये गये इस अर्जी को २ ( दो ) महीनों का समय बीत जानेपरभी मूल पोलिस स्टेशन के जनमाहिती अधिकारी ने उसका जवाब देना जरूरी नही समझा ! याने इस कानून की इस अधिकारी के नजरों में कोई अहमियत ही नही है ?
मूल पोलिस स्टेशन के जनमाहिती अधिकारी के इस रवैये के खिलाफ दिनांक ३१ / ०७ / २०२४ को अशरफ मिस्त्री ने प्रथम अपीलीय अधिकारी श्रीमान उपविभागीय पोलिस अधिकारी के कार्यालय में अपील दाखिल की है !
इसके पूर्व भी मूल पोलिस स्टेशन के जनमाहिती अधिकारी से माहिती के अधिकार के तहत दिनांक १८ जनवरी २०२४ को निवेदन देकर यह जानकारी माँगी थी के ” मूल पोलिस स्टेशन के कार्यक्षेत्र में मूल के डी बी स्कॉड ने २०२२ से आजतक प्रतिबंधित गुटका खर्रा , माजा , तंबाकू ,सट्टा अड्डे , जुआअड्डे छापेमारी करके गुनाह दर्ज किये गये होंगे तो उसकी जानकारी दी जाये ” ?
लेकिन इस जानकारी को सच्चाई और मूल पोलिस की निष्क्रियता छुपाने के उद्देश्य से ऐसा जवाब दिया गया था कि , ” इस जानकारी का किसीभी सार्वजनिक कामकाजसे या किसी हितसंबंधसे संबंध नही होनेसे कलम ८ ( १ ) ( त्र ) माहिती अधिकार अधिनियम २००५ के तहत जानकारी देनेसे इंकार कर दिया था !
इस तरहसे यह जानकारी देनेसे इंकार कर मूल पुलिस की निष्क्रियता छिपाने का प्रयास किया गया था !
तबभी जनमाहिती अधिकारी पोलिस स्टेशन मूल के इस जवाब के खिलाफ तत्कालीन उपविभागीय पोलिस अधिकारी श्री मल्लिकार्जुन इंगळे साहब के समक्ष दिनांक २० / ०२ / २०२३ को अपील दायर की गई थी !
जिसके चलते दिनांक १३/ ०३ / २०२३ को पत्र जावक क्र . ७९६ / २०२३ के जरिये जो जानकारी दी गई थी उसमें लिखा था कि , ” पोलिस स्टेशन मूल के डी बी स्कॉड ने २०२२ में अवैध सट्टा पट्टी – ५ , जुगार -३ , मांजा -१ इस तरहसे वैयक्तिक कार्यवाही की है !
मजेदार बात देखो पूरे सालभरमे यह कार्यवाही और मजेदार बात माजा की जगह मांजे की केस बतलाई गई है !
यह हँसी ठिठौली वाली कार्यवाही छिपाने की नौटंकी की गई थी !
यह कहना गलत नही होगा मूल पोलिस स्टेशन में ” हम कहेसो कायदा ” का राज चल रहा है और मूल शहर इन दिनों दो नंबरीयों की पनाहगाह बना हुवा है !?
मूल पोलिस स्टेशन के कार्यक्षेत्र में पक्या , अखिलेश , जेठ्या और तहसील में जगह जगह सरेआम लाखोंकी अवैध , नकली शराब सरेआम बेच रहे है !
माफिया सरगना जयसुख , वसीम , गुप्ता , सचिन के गुर्गे जेठया अनिल , साधना ( बदला हुवे नामका ) का आशिक , लख्खु , राठोड आदि सरेआम प्रतिबंधित जानलेवा गुटका खर्रा , माजा , नकली मीठी सुपारी का
कारोबार कर रहे हैं !? ,
सोहेल , अतुल , विक्की यह तीनों सट्टाकिंगोंका लाखोंकी सट्टापट्टी का काम धडल्लेसे बेरोकटोक जारी है !?
लेकिन सबसे हास्यास्पद तो यह रही के मूल पुलिस ने हालहीमें मारोडा रोडके दो पान ठेलों पर दलबल के साथ छापा मारकर वार्ड नं . १ के मंगेश मडावी के पान ठेलेसे सिर्फ २५९० /₹ ( दो हजार पांचसौ नब्बे रुपयोंकी ) ७४ बॉटल शराब जब्त की और वार्ड नं .२ के प्रदीप शेंडे के पान की दुकान से १४६५ /₹ ( एक हजार चारसौ पैसठ रुपयोंकी ) शराब जब्त की थी और जिस फ्रिज में यह शराब थी वह १० हजार ₹ ( दस हजार रुपये ) फ्रिज जब्त किया गया था इस प्रकारसे कुल मिलाकर १४,०५५ /₹ ( चौदह हजार पचपन रुपयोंका माल जिला पुलिस अधीक्षक सुदर्शन मुमक्का और विभागीय अधिकारी एस एम भगत के मार्गदर्शन मे मूल के पोलिस निरीक्षक ने अपने मातहत कर्तबगार पुलिस स्टॉफ के साथ मिलकर ( सभीके नाम कई अखबरोंमे सुर्खियोंमे छपवाकर ) इतना बडा अवैध शराब का रैकेट पकडा ऐसी वाहवाही करवाकर अपनी पीठ थपथपा कर अपनी ही खिल्ली उड़वा ली थी !?
वैसेभी मूल शहर अजूबों से भरा शहर है ? यहाँ का एक दल्ला कथित नेता मंत्रियों , नेताओं के किसीभी सभा समारोह मे मंचोंपर पहोंचकर नेताओं से मंत्रियों से अपनी नजदीकियाँ , घनिष्ठता दिखानेकी नौटंकी करके महसूल विभाग के , पुलिस विभाग के कई अधिकारियों को मनचाही जगह ट्राँस्फर , प्रमोशन के नामपर उनसे लांखों बटोरकर चुना लगा चुका है !
विगत समय महसूल विभागके एक अधिकारी को अपना तबादला उसकी मनचाही जगह चाहिये था तो उस अधिकारी ने इसकी बातोंमें आकर पूरे पंद्रह लाख तबादले के लिये दिये थे फिर यह कथित नेता उस अधिकारी को लेकर कई मर्तबा हवाई जहाज से मुंबई गया था , मुंबई का हवाई जहाज़ों की टिकिटों का और वहाँ रहने खानेका जो खर्च हुवा सो अलग !
इतना करनेपरभी उस अधिकारी को मनचाहा जिला मनचाहा शहर में तबादला नही हुवा ! मरता क्या ना करता वह अधिकारी मुँह बंद करके चलता बना ! क्योंके वहभी उसकी दो नंबर की कमाई थी !
उसी तरहसे हालहीमे नागपुर के एक पुलिस अधिकारी को चंद्रपुर के दो बडे कमाईवाले पोस्टिंग बतलाकर उससे करीब दस लाख रुपये बटोरकर उस अधिकारीको साथ लेकर मुंबई यह दल्ला नेता पहोचा था हवाई यात्रा दो – तीन मर्तबा करनेपर भी उस पुलिस अधिकारी का चंद्रपुर जिले में तबादला तो नही हुवा उल्टे नागपुर जिलेमेही अन्यत्र तबादला हो गया ! पोलिस अधिकारी भी मन मसोसकर रह गया !
जिलेमें जब शराबबंदी थी तब सभी अवैध शराब बिक्रेताओंसे पुलिस विभागके आलाधिकारियों के नामसे और सत्ताधारी आला नेताओंके नामसे भी यह दल्ला हरमाह लाखोंकी हप्ता वसूली करता था !
आजभी मूल तहसील के सभी अवैध कारोबारी और भ्र्ष्टाचार के गर्तमे डूबे विभिन्न शासकीय विभाग के लोग इसकी जीहुजूरी करते हुवे सभी कायदे कानूनों का खिलवाड बनाकर ऐश कर रहे है !